शीतला षष्ठी 2022 : जानिए शीतला षष्ठी व्रत क्यों रखा जाता है

शीतला षष्ठी का व्रत माघ माह में शुक्ल पक्ष की षष्ठी (छठी) तिथि को मनाया जाता हैं | 6 फरवरी 2022 को यह व्रत पर रहा है | ज्यादातर यह व्रत पश्चिम बंगाल और ओडिशा से सटे कोल्हान क्षेत्र में मनाया जाता हैं | इस व्रत में 9 प्रकार के गोटा दाल व सब्जी के मिश्रण (सीजानो) और ठंडा भात शीतला माता को अर्पित किया जाता है और इसे अर्पण करने के बाद अगले दिन इसे ग्रहण किया जाता है|

नहीं जलाये जाते हैं चूल्हे तथा क्यों रखते हैं व्रत?

जी है सही पढ़ा आपने शीतला षष्ठी के दिन लोग चूल्हा नहीं जलाते हैं, बल्कि चूल्हे की पूजा करते हैं| इस दिन लोग सुबह उठ कर पुरे विधि विधान से पूजा के जाती है लोग घरो में सील लोढ़ा (सिलबट्टे) और चूल्हे की पूजा करते है | यह व्रत शीतला माता के लिए किया जाता है और लोग इस व्रत के बाद माता से सुख समृद्धि और पुत्र की कामना करते है | शीतला माता को पुत्र प्रदायनी माना जाता हैं | इस कारण से संतान कि इच्छा रखने वाली महिलाये इसे ख़ास कर कर करती हैं | घर में शीतला माता का व्रत करने से शांति आती है और चेचक () से मुक्ति मिलती हैं |

नौ प्रकार के दाल व सब्जी के मिश्रण का भोग

शीतला माता को नौ प्रकार के दाल व सब्जी के मिश्रण का भोग लगाया जाता है जिसे सीजानो कहते हैं | सीजानो बसंत पंचमी की रात को बनाया जाता है | यह खाने में बहुत ही टेस्टी लगता है इसे बनाने के लिए राजमा, कुल्थी, बिरी, चना, बेर, सेम, मुनगा फूल और कच्चू को एक साथ मिलाया जाता है और इसे सिल लोढ़ा (सिलबट्टा) पर माँ के प्रतिमा के साथ प्रसाद के रूप में रखा जाता है | अलग अलग जगहों पे सीजानो बनाने का तरीका अलग अलग है कुछ लोग सीजानो में मछली बनाते हैं जबकि कुछ लोग शुद्ध शाकाहारी भोजन ही बनाते है |

(Disclaimer: इस Article में जो भी जानकारियां दी गई है वह सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. हम Top Blog Mania इसकी पुष्टि नहीं करते है अगर आप इस जानकारी पर अमल करते हो तो कृपया विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें |)

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